तैरकर, डूबकर, हारकर आ गए
ईद के दिन मेरी ईद हो जायेगी
रु-ब-रु ईद के दिन अगर आ गए
हमको जाना कहाँ था किधर आ गए
हमसे ख़ुद को छुपाये तो रक्खा बहुत
आईने में मगर हम नज़र आ गए
आईने में मगर हम नज़र आ गए
उसने अपनी कसम देके रुखसत किया
अश्क संभले न थे हम मगर आ गए
जा चुके थे हक़ीक़त में जो छोड़कर
ख्वाब देखा कि वो लौटकर आ गए
ईद के दिन मेरी ईद हो जायेगी
रु-ब-रु ईद के दिन अगर आ गए
गाँव रोता रहा रुखसती पे तो क्या
छोड़ आये उसे आह भर आ गए
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