और करोगे क्या
मनमानी, छोड़ो भी
हर ख़ूबी है
आनी-जानी, छोड़ो भी
मज़हब एक तरफ़ है,
सरहद एक तरफ़
बीच में है इक
प्रेम कहानी, छोड़ो भी
आँखों से इज़हारे
मुहब्बत करके भी
अब करते हो आनाकानी , छोड़ो भी
विष का प्याला
भक्तिरस से टकराया
क्या बोले मीरा
दीवानी, छोड़ो भी
कहने को तो मैंने
क्या क्या कह डाला
आइ न अब तक बात
बनानी, छोड़ो भी
कांपे होंठ कहा
जब उसने जाती हूँ
बहता रहा आँखों
से पानी, छोड़ो भी
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