या तो दामन न कभी मुझसे छुड़ाया होता
या कोई और ही अपना सा दिखाया होता
हमसफ़र जो भी मिले वो थे बिछड़ने वाले
साथ कोई तो मेरे अपना-पराया होता
तूने मिट्टी के खिलौने से मुझे बहलाया
जब बनाना ही था इंसान बनाया होता
सिलसिला कोई तो निस्बत का बनाए रखते
इश्क तो कर न सके , दिल ही दुखाया होता
या तो बख्शा ही न होता मुझे जीने का शऊर
या मुझे खौफ अजल का न दिखाया होता
या कोई और ही अपना सा दिखाया होता
हमसफ़र जो भी मिले वो थे बिछड़ने वाले
साथ कोई तो मेरे अपना-पराया होता
तूने मिट्टी के खिलौने से मुझे बहलाया
जब बनाना ही था इंसान बनाया होता
सिलसिला कोई तो निस्बत का बनाए रखते
इश्क तो कर न सके , दिल ही दुखाया होता
या तो बख्शा ही न होता मुझे जीने का शऊर
या मुझे खौफ अजल का न दिखाया होता
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