हम सब जानते हैं
कि लम्हे दर लम्हे जोड़कर
बनाई गई ज़िन्दगी
ढह सकती है किसी भी पल
कि लम्हे दर लम्हे जोड़कर
बनाई गई ज़िन्दगी
ढह सकती है किसी भी पल
हम ये जानते हैं
के मौत इंतेज़ार कर रही है
हमारा
हर गली, नुक्कड़, चौराहे, घर, बाजार
हरेक जगह लेकिन
हमें ये मालूम नहीं कि
एक सी दिखने वाली सारी मौतों में से
कौन सी मौत
खड़ी है
किसे निगल जाने के लिए
के मौत इंतेज़ार कर रही है
हमारा
हर गली, नुक्कड़, चौराहे, घर, बाजार
हरेक जगह लेकिन
हमें ये मालूम नहीं कि
एक सी दिखने वाली सारी मौतों में से
कौन सी मौत
खड़ी है
किसे निगल जाने के लिए
फिर भी हम उन्हें नज़रअंदाज़ करते हुए
चले जाते हैं,
मुसलसल उसी की ओर
और ये भूल जाते हैं कि
किसी भी सूरत में हम
उससे बच नहीं सकते
चले जाते हैं,
मुसलसल उसी की ओर
और ये भूल जाते हैं कि
किसी भी सूरत में हम
उससे बच नहीं सकते
ये सफ़र जहां अकेले चलना भी
कम दुश्वार नहीं होता
हम उठाते हैं
एक बड़ा सा ट्रेवल बैग
जिसमे ठूसते जाते हैं
नफ़रत, जलन, अहंकार
इज़्ज़त, शोहरत
और भी बहुत कुछ
कम दुश्वार नहीं होता
हम उठाते हैं
एक बड़ा सा ट्रेवल बैग
जिसमे ठूसते जाते हैं
नफ़रत, जलन, अहंकार
इज़्ज़त, शोहरत
और भी बहुत कुछ
और इसे उठाने की हिम्मत
जब नहीं बचती
तो हम झुंझला जाते हैं
अपने लोगों पर
या दूसरे लोगों पर भी
और रोकने लग जाते हैं
उनके रास्तेे
जिनके ट्रेवल बैग हल्के हैं,
जिनमे मुहब्बत भरी है
जो बहुत आराम से सफ़र कर रहे हैं
हम न जाने क्यूँ
अपनी नाक इतनी लंबी कर लेते हैं
कि जब होने लगती है तकलीफ़
ऑक्सीजन लेने में
तो अपने रिश्तेदार, समाज, मुल्क़ और क़ौम के
तमाम लोगों को भी ज़बरदस्ती
खींचना पड़ जाता है
ऑक्सीजन
उस एक लंबे नाक के लिए
जब नहीं बचती
तो हम झुंझला जाते हैं
अपने लोगों पर
या दूसरे लोगों पर भी
और रोकने लग जाते हैं
उनके रास्तेे
जिनके ट्रेवल बैग हल्के हैं,
जिनमे मुहब्बत भरी है
जो बहुत आराम से सफ़र कर रहे हैं
हम न जाने क्यूँ
अपनी नाक इतनी लंबी कर लेते हैं
कि जब होने लगती है तकलीफ़
ऑक्सीजन लेने में
तो अपने रिश्तेदार, समाज, मुल्क़ और क़ौम के
तमाम लोगों को भी ज़बरदस्ती
खींचना पड़ जाता है
ऑक्सीजन
उस एक लंबे नाक के लिए
न जाने हम क्यों रोज़ रिसर्च करते हैं
नफ़रत की एक नई वजह
और मर जाते हैं उस एक वजह के लिए
या मार देते हैं लोगों को
जीते जी
फिर घसीट कर ले जानी होती है
हमें अपनी-अपनी "लाशेें"
उस एक नुक्कड़ तक
जहां खड़ी होती है
मुन्तज़िर,
हमारी मौत
जबकि हम सब जानते हैं
कि हमें ये मालूम नहीं कि
एक सी दिखने वाली सारी मौतों में से
कौन सी मौत
अपनी है
नफ़रत की एक नई वजह
और मर जाते हैं उस एक वजह के लिए
या मार देते हैं लोगों को
जीते जी
फिर घसीट कर ले जानी होती है
हमें अपनी-अपनी "लाशेें"
उस एक नुक्कड़ तक
जहां खड़ी होती है
मुन्तज़िर,
हमारी मौत
जबकि हम सब जानते हैं
कि हमें ये मालूम नहीं कि
एक सी दिखने वाली सारी मौतों में से
कौन सी मौत
अपनी है
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