Monday, 16 April 2018

दर्दो आलाम और ग़म के सिवा
जिंदगी क्या है बेशो कम के सिवा

अब मेरे पास कुछ बचा है क्या
एक बेजान से कलम के सिवा

रास्ता है तवील हस्ती का
कोई मंजिल नहीं अदम के सिवा 


मस्त आँखें, ये लब, ये हुस्न तेरा
कुछ नहीं है तेरे भरम के सिवा 

और हासिल भी क्या रहा मेरा
जिंदगानी के पेंचोख़म के सिवा

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