Thursday, 26 July 2018

मैं ग़लत काम गवारा तो नहीं कर सकता
दुश्मनों से भी मैं धोका तो नहीं कर सकता

जान देने की सहूलत भी अगर मिल जाए
हिज़्र में मरने का दावा तो नहीं कर सकता

बेवफ़ा  तुझको कहूं भी तो भला कैसे कहूं
हाय अफ़सोस मैं ऐसा तो नहीं कर सकता

तुझसे मैं दूर भी हो जाऊं अगर, तेरी क़सम
बीती यादों से किनारा तो नहीं कर सकता

ख़ानादारी की है ज़ंजीर मेरे पाओं  में
ख़ुदक़ुशी का मैं इरादा तो नहीं कर सकता

क्यों ये नफ़रत  की सनक पाल रहे हो दिल में
कोई नफ़रत  से गुज़ारा तो नहीं कर सकता

मैं अगर रोया मेरी माँ  भी बहुत रोयेगी
अपनी आँखों को मैं दरया तो नहीं कर सकता 

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