तुमसे अब दूर हो चुका हूँ मैं
कितना मजबूर हो चुका हूँ मैं
तुमको रहती थी फ़िक्र माँ, देखो
कितना मशहूर हो चुका हूँ मैं
मौत आये तो चैन आ जाए
ज़ख़्म ए मामूर हो चुका हूँ मैं
ज़िंदगी ने मुझे पुकारा जब
थक के जब चूर हो चुका हूँ मैं
ज़ख़्म होता तो भर भी सकता था
अब तो नासूर हो चुका हूँ मैं
हिज़्र के बाद होना था पागल
सो बदस्तूर हो चुका हूँ मैं
कितना मजबूर हो चुका हूँ मैं
तुमको रहती थी फ़िक्र माँ, देखो
कितना मशहूर हो चुका हूँ मैं
मौत आये तो चैन आ जाए
ज़ख़्म ए मामूर हो चुका हूँ मैं
ज़िंदगी ने मुझे पुकारा जब
थक के जब चूर हो चुका हूँ मैं
ज़ख़्म होता तो भर भी सकता था
अब तो नासूर हो चुका हूँ मैं
हिज़्र के बाद होना था पागल
सो बदस्तूर हो चुका हूँ मैं
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